३० दिन के अगले कदम

दिन २२: मोहजाल

मुझे यह विचार बार-बार क्यों आते है?


परमेश्वर जानता है कि अपने भक्तों को मोहजाल से कैसे छुड़ाना है।

2 पतरस 2:9

एक हठी और विनाशकारी ताकत हरेक विश्वासी के जीवन में कार्यरत होती है। मोहजाल एक निरन्तर प्रभाव है और हमारे पुराने जीवन का एक पीछे खींचने वाली बुरी आदतों की एक ताकत है। इसका उद्देश्य प्रभु यीशु के साथ हमारे करीबी जीवन को रोकना है। मोहजाल अपने आप में जानलेवा नहीं है। पर इसमें पड़कर पाप करने के बहुत गहरे और दीर्घकालिक परिणाम होते है। हमारा सबसे अच्छा बचाव कार्य इसका जल्द पता लगाकर कठिन शिक्षणात्मक कारवाई करना है।

विश्वासी दुष्ट विचारों और व्यवहार के परे नहीं है, बल्कि विश्वासी प्रभु के लिए इतना मूल्य रखते हैं कि हम अविश्वासियों से भी बड़ा निशाना बन सकते हैं।हमारा विरोधी चालाक है और हमें सम्मोहित करने के अनेक तरीके आजमाता है। प्रेरित पौलुस कहते हैं कि हमें बहुत ही ध्यानपूर्वक तीन क्षेत्रों में अपनी सुरक्षा करनी है।"शरीर की अभिलाषा, आंखों की अभिलाषा और जीवन का घमण्ड़" (1 यूहन्ना 2:16 देखिये).

  • शरीर की अभिलाषा में स्व-आसक्ति, अपने शरीर पर ध्यान देने की धुन चढ़ना और अपवित्र लैंगिक विचार शामिल हो सकते हैं।
  • आंखों की अभिलाषा वह है, जो हम अवैध रूप से तकते हैं। ध्यान रहे आप अपनी आंखों को क्या दिखा रहे हैं!
  • जीवन का घमण्ड अपने को बढ़ाना और स्वार्थी लक्ष्यों और दूसरों की कीमत पर आगे बढ़ने से है।

अपनी ताकत से परीक्षाओं का सामना करने की कोशिश न करें। अगली बार जब आपकी परीक्षा में गिरते हो, प्रभु को सहायता के लिए पुकारे, क्योंकि वह मोहजाल का सामना करने वालों की सहायता कर सकता है" (इब्रानियों 2:18)। हरेक जय के साथ आप और अधिक शक्ति अर्जित करते हो। परमेश्वर विश्वासयोग्य है और उसमें से बचने का रास्ता बनायेंगे (1 कुरिन्थियों 10: 13)।

दिन २३: भविष्य के लिये परमेश्वर पर भरोसा रखे


मोहजाल से बचना यानि न कहना। छोटे- छोटे चुनाव मिलकर बड़े बन जाते है। आपको किन बातों से न कहना है? किसी से बात करना अर्थात जवाबदारी होनी चाहिये, आपको सही निर्णय लेने में सहायक होगी।