बाइबल बताती है, "परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास लाये वह नाश न हो परन्तु अनन्त जीवन पाये।"
समस्या यह है कि . . .
बाइबल बताती है, “सब ने पाप किया है और उसकी महिमा से वंचित हैं।” परमेश्वर निपुण और पवित्र हैं और हमारे पाप हमें परमेश्वर से सदा के लिये दूर करते हैं। बाइबल बताती है कि, “पाप की मज़दूरी तो मौत है।”
अच्छा समाचार तो यह है कि 2000 वर्ष पहले,
यीशु परमेश्वर के पुत्र हैं। उन्होंने एक निष्पाप जीवन जिया और फिर हमारे पापों का दाम चुकाने के लिये उन्होंने क्रूस पर अपनी जान दी। “परमेश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम को इस तरह बताया कि जब हम पापी ही थे तो मसीह हमारे लिये मरे।”
यीशु मरे हुओं में से जी उठे और अब वे अपने पिता परमेश्वर के साथ स्वर्ग में जीवित हैं। वे हमें अनन्त जीवन का उपहार दे रहे हैं – उन के साथ सर्वदा के लिये स्वर्ग में रहने का यदि हम उन्हें अपना प्रभु और मुक्तिदाता मानते हैं।
यीशु ने कहा, “मार्ग, सच्चाई और जीवन मैं ही हूँ। बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं जा सकता।”
परमेश्वर प्रेम से आप को बुलाते हैं और चाहते हैं कि हम उनकी सन्तान बनें। “जितनो ने उन्हें स्वीकार किया, उन्होंने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, उन्हें भी जो उन के नाम पर विश्वास करते हैं।” आप भी यीशु मसीह से कह सकते हैं कि वे आप के पापों को क्षमा करें और आप के जीवन में प्रभु और मुक्तिदाता बन कर आयें।
“प्रभु यीशु, मुझे विश्वास है की आप परमेश्वर के बेटे हैं। मेरे पापों के लिये क्रूस पर अपनी जान देने के लिये आप का धन्यवाद हो। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें और मुझे अनन्त जीवन का उपहार दें। मेरे जीवन और हृदय में प्रभु और मुक्तिदाता बन कर आईए। मैं सदा आप की सेवा करना चाहता हूँ।”