यीशु की ओर देखें

परमेश्वर आपकी प्रार्थनाओं के उत्तर देता है

वह आपके साथ समय व्यतीत करना चाहता है और आपको सुनना चाहता है


हमने पहले सीखा कि परमेश्वर बाइबल में हमसे बातचीत करते है। प्रार्थना में आप परमेश्वर से बात करते हो। वह आपको अच्छे से जानते है और किसी भी मित्र से अधिक प्रेम करते है। वह आपके साथ समय व्यतीत करना चाहते है और आपको सुनना चाहते है।

परमेश्वर एक मित्र से कहीं बढ़कर है। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। वह आपके लिये कार्य कर पाने में सक्षम है और सहायता करने का सही रास्ता जानते है। परमेश्वर कैसे है यह जानने के लिए यीशु को देखे उस पर मनन करें (यूहन्ना १:१८)।

जब यीशु के चेलों ने प्रार्थना करने की रीति सिखाने के लिए कहा तो उसने प्रार्थना का एक नमूना दिया जिसे हम “हमारे पिता” या “प्रभु की प्रार्थना” के नाम से जानते हैं (मत्ती ६: ९-१३)। यह कोई जादूई मंत्र नहीं कि निरंतर जपने से हमको उसकी कृपा मिले। अपितु यह उससे सम्बन्ध स्थापित करने का एक उदाहरण मात्र है। आईये हम इनमें से कुछ पर ध्यान दें।

यह आराधना से आरम्भ होता है

‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए

हमें परमेश्वर के पास बहुत ही श्रृद्धापूर्वक जाना चाहिए साथ ही उसी समय यह भी जानते हुए कि वह हमारा पिता है। हम अपने सारे तन मन से परमेश्वर को प्रेम करने के लिए बुलाये गए हैं। हम आराधना करके यह घोषणा करतें हैं कि उसका नाम पवित्र है। हम प्रार्थना करतें हैं कि और अधिक लोग यह देख पाएं ।

हम उसकी इच्छा से अपने आप को जोडतें हैं

तेरा राज्य आये,तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो

परमेश्वर का संसार और अपने लोगों के लिए एक बड़ी योजना है। हमें यह जानना चाहिए कि हम उसकी योजना में कहाँ फिट बैठतें हैं। उसकी आज की योजना में हमारे लिए कार्य है और हम उसे पृथ्वी पर सब सही करने के लिये अपनी सामर्थ का प्रयोग करने के लिए प्रार्थना करतें हैं। जितना हमारी प्रार्थनाएं उसकी योजनाओं के अनुसार होंगीं उतनी प्रसन्नता उसे उनका उत्तर देने में होगी।

हम अपनी जरुरतों को उससे माँगते है

हमारी प्रतिदिन की रोटी आज हमें दे, और जिस प्रकार हमने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।

उसकी आराधना और उसकी योजना को स्वीकारने के पश्चात हम अपनी आवश्यकताओं के विषय में बात करतें हैं दिन भर की रोटी का अर्थ मूल आवश्यकताएं:रोटी, कपड़ा और मकान है और हम जानतें हैं कि वह हर रोज़ इन्हें उपलब्ध कराता है।

जब हम कहते हैं “हमारे अपराधों को क्षमा कर,” तब हम याद करतें हैं कि उसने उदारता के साथ हमारे पापों के कर्ज को क्षमा किया है। एक ऐसा “क़र्ज़,” जो इतना बड़ा था कि हम उसे कभी चुका नहीं पाते। मसीह ने पापहीन जीवन जीया और क्रूस पर अपना लहू बहाया। उसने वह क़र्ज़ हमेशा के लिए चुका दिया। क्योंकि अब वह हम में रहता है हम दूसरों के अपराधों को क्षमा करने में सक्षम हैं। हम टूटे रिश्तों और कड़वाहट से मुक्त हो सकतें हैं।

हम सुरक्षा के लिए प्रार्थना करतें हैं

और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा

‘चाहे हम परमेश्वर की संतान हैं हम में पाप करने की प्रवृत्ति है। इसलिए हम उससे हमें पवित्र आत्मा के द्वारा परीक्षाओं से दूर रखने की प्रार्थना करतें हैं। हमारा एक दुश्मन भी है – शैतान जिसका एकमात्र लक्ष्य “चोरी, घात करना और नष्ट करना है (यूहन्ना १०:१०) चाहे हम किसी भी स्थिति से गुज़र रहे हों हम परमेश्वर से सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर सकतें हैं।

प्रार्थना में यीशु की ओर ध्यान लगायें

जितना अधिक समय हम परमेश्वर का वचन पढ़ने और प्रार्थना में लगातें हैं उतना अधिक हम उसे जानते और उससे प्रेम करते हैं ।जितना अधिक हमारा ह्रदय उसके ह्रदय के साथ धड़कता है उतना अधिक हम यीशु के समान बनते हैं ।