३० दिन के अगले कदम

दिन २: सफर की शुरुआत करना

मैं इस यात्रा से क्या अपेक्षायें रखूँ?


मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूँ कि परमेश्वर ने तुममें जो उत्तम काम प्रारम्भ किया है, वह उसे मसीह येशु के दिन तक पूरा कर देंगे.

फिलिप्पियों 1:6

"पापा, क्या हम वहाँ पहुँच गये क्या?" जब हम कार में किसी लम्बी यात्रा के लिये निकले ही होते है तब यह सवाल बच्चे हमसे पूछते थे। मुझे उन्हें याद दिलाना होता था कि अभी कईं घंटे और है वे तसल्ली रखें और अपने सफर का आनंद उठायें।

आपके जीवन की यात्रा एक कार के सफर से बहुत बढ़कर है। यह जिन्दगी भर की एक साहसिक यात्रा है। आपके इस सफर में आपकी सहायता हेतु:

  • आत्मविश्वास रखें कि आपके सामने जो कुछ भी हो, यीशु आपके साथ है। उसका वचन है: “मैं तुम्हें कभी न भूलूँगा, कभी न त्यागूँगा” (इब्रानियों 13:5)।
  • तुरन्त परिणामों के स्थान पऱ छोटे-छोटे बदलावों पर गौर करें। कुछ उदाहरण जैसे एक नये मसीही मित्र से मिलना; आपके किसी खिझाने वाली आदत पर जयवंत होना। ऐसी एक बाईबिल की आयत खोज लेना, जो आपके लिये “जीवंत हो उठे”।
  • हऱ पल को गले लगाये, भविष्य के लिये परमेश्वर पर भरोसा रखें.

परिवर्तन आसान नहीं है। हमें अपने आप पर थोड़ा सक्त होना पड़ेगा, विशेषकर जब हमें हार मान लेनी की इच्छा होती है। परन्तु हर एक जीत के साथ, चाहे वह छोटी ही हो, हममें अगली चुनौती का सामना करने की क्षमता बढ़ती है।

कईं बार मैंने यह सोचा की मसीही जीवन बहुत कठिन है। पुरानी आदतें और मित्र जो बुरा प्रभाव डालते थे वह मुझे उस प्रकार खिंचते थे जैसे लोहे को चुम्बक। कभी-कभी में हार गया। आपे जीवन में भी ऐसे क्षण आयेंगे। पर प्रभु का धन्यवाद हो की हम अकेले नहीं हैं।हम प्रभु यीशु पर विश्वास कर सकते हैं, जो हम में वास करते हैं और जीवन के अंत तक हमारा साथ देने के लिए पूर्ण रूप से समर्पित हैं।

दिन ३: परमेश्वर अन्दर से बाहर कार्य करते है


जैसे एक छोटा बच्चा छोटे- छोटे पग लेकर चलना सीखता है वैसे ही हम अपने जीवन में मसीह के विषय में सीखने के लिये छोटे- छोटे बदलाव लाते है। क्या आप एक ऐसे छोटे बदलाव के बारे में सोच सकते है जो आप अपने जीवन में ला सकते है।