३० दिन के अगले कदम

दिन २५: बुलाहट

मैं अपने काम में परमेश्वर की सेवा कैसे करूँ?

दिन २५: बुलाहट

और आप जो भी करें, दिल से करें, जैसा प्रभु के लिये हो मनुष्य के लिये नहीं

कुलुस्सियों 3:23

हमारी प्रथमिक बुलाहट प्रभु मसीह की है। ओस गीनिसस अपनी पुस्तक “बुलाहट” में यूं कहते हैं, सर्वप्रथम हमें किसी के लिए बुलाया गया है (परमेश्वर), किसी वस्तु के लिए नहीं न ही किसी स्थान की ओर। परमेश्वर हमें पेशे के साथ बुलाते हैं हमारे लिये उनकी योजना में हमारा कार्य भी शामिल है।

एक जवान विश्वासी के नाते मैं यह समझता था कि परमेश्वर की सेवा करने के लिये मुझे किसी “पूर्णकालिक” मसीही सेवा कार्य में शामिल होना पड़ेगा। लेकिन मेरी रूचि और पृष्ठभूमि मुझे हमेशा इंजीनियरिंग और व्यवसाय की ओर लगी। जब मैंने प्रभु से मार्गनिदेशन के लिए प्रार्थना करी तब मुझे यह लगा कि प्रभु कह रहे हैं "मैंने तुम्हें व्यवसाय करने के लिए बुलाया है इसे अपने पूर्ण मन से करो।"

कईं विश्वासी अपनी बुलाहट जानने के लिये बहुत कठिनाईयों का सामना करते हैं। हमारी संस्कृति “पवित्र” और “सांसारिक” का गलत विभाजन करती है और इस बात पर जोर देती है कि पवित्र कार्य उदात्त होते हैं न तो यीशु ने न ही उसके शिष्यों ने यह नजरिया अपनाया था। परस्यूट आँफ गाड़ किताब में ए.डब्ल्यू टोज़र यह कहते हैं कि नये नियम में “पवित्र और सांसारिक” विभाजिक सोच का कोई आधार नहीं है।

परमेश्वर लोगों को बहुत सम्मान कार्यों के लिए बुलाते हैं-शैक्षिक, इंजीनियरिंग से लेकर खेती, कारखाने में काम, बच्चों को बड़ा करने से एक कम्पनी चलाने तक। चुनौती यह है कि हम हमारे कार्यों को परमेश्वर की रूपरेखा से तालमेल बना कर रखे, उसके विरोध में न करें।

आपका पेशा क्या हो यह निर्णय करने से पहले यह सोचें और परखें किः मेरी प्रतिभा कौन-कौन सी है? मैं किस में आनंद पाता हूं? मेरी शिक्षा और मेरे अनुभव ने मुझे किस प्रकार से तैयार किया है? मुझे परमेश्वर के आनंद अनुभूति किस जगह पर होती है? कार्य तनख्याह से भी आगे जाता है।यह खोजिये की परमेश्वर ने आपको कहां बुलाया है और अपनी पूर्ण क्षमता से उसे करे।

पी.एस. यहां पर एक बहुत अच्छा आनलाईन वेबसाइट दी गई है www.lovingmonday.com

दिन २६: उसमें, लेकिन उसके नहीं


आपको सारे वरदान काबलियत परमेश्वर द्वारा दिये गये है। आप अपने परमेश्वर प्रदत्त वरदानों के साथ आज उसकी सेवा कैसे करेंगे? क्या आप नहीं जानते कि कैसे उसकी सेवा करनी है? किसी से उस विषय में बात करें।